हवा बहती है,
कितने आयामों में,कितने रूपों में,
कभी धीरे से हवा छूती है,
सिहराती है,गुदगुदा सी जाती है,
वर्षा की बूँदों के साथ,
मुलायम,भींगी सी,
ठण्डी,सुकून देती,
हवा कभी आंधी बन धूल उड़ाती,
कभी प्रबल बन विंध्वस कर जाती,
जंगल से जब उठती जोर-शोर से,
प्रचंड बन दौड़ती हवा,
चर्र -चर्र करते झोंके खाते,
टूटते पेड़-टहनियाँ,
मिट्टी खसकाती,हाहाकार करती हवा,
दौड़ती,मेरे आँगन के मुंडेर से टकराती,
सर उठाके देखती,झांकती,
फिर मुलायम पड़ जाती,
मजबूत प्रहार से या कोमल वातावरण से,
धीमे से पसरती,सहलाती,
आँगन से गुजरती मुझे भरमा जाती।
बहुत अच्छा लगा आपका ब्लॉग ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ..
उम्दा....बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन
हवा के हर आयाम को छूती है ये रचना ...
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ...
बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteएक बेहतरीन कविता प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई। http://natkhatkahani.blogspot.com
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ReplyDeleteमजबूत प्रहार से या कोमल वातावरण से....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सूंदर अनुभूति और हवा को केंद्र में रखकर लिखी उम्दा कविता
ReplyDeleteसूंदर ब्लॉग हेतु बधाई
सादर