शब्द मेरे वजूद हैं ,
मै शब्दों से खेलती हूँ ,
मै इनके तिलिस्म को सुलझाती हूँ ,
कभी लफ्ज़ बगैर फलसफा बन जाता है ,
कभी शब्द बिन जिन्दगी गुमशुदा हो जाती है ,
जिन्दगी कोई ग़ज़ल नहीं ,न ही कोई मुशायरा ,
हालात से जूझते हुए ,
मेरे अन्दर का खौफ ,
मुझे मूक कर जाता है ,
शब्द बेअसर हो जाते हैं ,
मेरे"शेर 'जूझते पस्त हो जाते हैं ,
'ग़ज़ल "तकलीफ से छटपटाते नज़र आती है ,
मै शर्मिंदा हूँ ,
शब्दों की ताकत से भरोसा उठने लगता है ,
'ग़ज़ल ','शेर 'तो मेरे अपने हैं ,
इन्हें कसके थामना होगा ,
मेरा मौन जब मुखर होगा ............
बहती नदी रुक जायेगी ,
लम्हें बदहवास भागेंगे ,
वक़्त अवाक्-निढाल हो जायेगा ,
दुनिया शायद तब समझेगी ,
असीम होती है .....चुप की जुबाँ की सीमा ...........
मै शब्दों से खेलती हूँ ,
मै इनके तिलिस्म को सुलझाती हूँ ,
कभी लफ्ज़ बगैर फलसफा बन जाता है ,
कभी शब्द बिन जिन्दगी गुमशुदा हो जाती है ,
जिन्दगी कोई ग़ज़ल नहीं ,न ही कोई मुशायरा ,
हालात से जूझते हुए ,
मेरे अन्दर का खौफ ,
मुझे मूक कर जाता है ,
शब्द बेअसर हो जाते हैं ,
मेरे"शेर 'जूझते पस्त हो जाते हैं ,
'ग़ज़ल "तकलीफ से छटपटाते नज़र आती है ,
मै शर्मिंदा हूँ ,
शब्दों की ताकत से भरोसा उठने लगता है ,
'ग़ज़ल ','शेर 'तो मेरे अपने हैं ,
इन्हें कसके थामना होगा ,
मेरा मौन जब मुखर होगा ............
बहती नदी रुक जायेगी ,
लम्हें बदहवास भागेंगे ,
वक़्त अवाक्-निढाल हो जायेगा ,
दुनिया शायद तब समझेगी ,
असीम होती है .....चुप की जुबाँ की सीमा ...........
शब्दों की भाषा बेहद खूबसूरत सी है
ReplyDeleteAap yahan tak aa meri kavita padhi...shukriya Anjuji....
Deletebahut khoob abhivyakti ..shabdo ki kasmsahat aur chup ki mahima ki ..
ReplyDeleteAapne utsah badhaya...bahut-bahut danybad Kavitaji....
DeleteBAHUT SUNDER PRASTUTI....SHBD VINYAS AUR CHAYAN BAHUT UTKRASHT ...मेरा मौन जब मुखर होगा ............बहती नदी रुक जायेगी ,लम्हें बदहवास भागेंगे ,वक़्त अवाक्-निढाल हो जायेगा , SADHUWAD
ReplyDeleteaapne waqt nikal ese padha,saraha.......shukriya ji.....
DeleteAap samay nikal itne dhyan se meri kavita padhen.....dil se shukriya..
ReplyDeleteमेरा मौन जब मुखर होगा, बहती नदी रुक जायेगी,- बहुत सोच समझकर लिखा है- मेरे अन्दर का खौफ मुझे मज्बूर कर देता है - यह तो आत्म चिंतन का एक हिस्सा है। अभिनन्दन ।
ReplyDeleteHan sahi hain aap....ye aatm-chintan ka hi hissa hai...dhanybad
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletekhubsurat shabd srijan...:)
ReplyDeleteaseem hoti hai .........chup ki ... juban ki seema :)
shreshtam !
shukriya Mukeshji....aapne padha or saraha.......
Deleteप्रभावी ...शुभकामनायें !!
ReplyDeleteAap yaa aaye,samay de padhen....dhanybad Satishsaxenaji...
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना है अपर्णाजी...सच कहा है आपने शब्द ही वज़ूद होते हैं....जिसके पास शब्द नहीं है उसका कोई वज़ूद कैसे...?? शायद इस हक़ीकत को जानते हुए भी लोग प्रायः अन्जान रहे आते हैं और अपने अस्तित्व पर स्वयं ही प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं....? शब्द ही प्रहार होते हैं, शब्द ही मरहम भी होते हैं, शब्द ही जख़्म देते हैं और शब्द ही जीवन को राह दिखाते हैं....पूरी रचना में शब्द के अस्तित्व को जिस तरह ही आपने चित्रित किया है उसने तो कमाल की रचना रच दी...शब्दों के ही प्रयोग के कमाल का नतीजा है जो इतनी सुन्दर रचना आज हमारे सामने हैं....सच में आपने ठीक ही लिखा है.." जिन्दगी कोई ग़ज़ल नहीं ,न ही कोई मुशायरा ,कभी लफ्ज़ बगैर फलसफा बन जाता है ,
ReplyDeleteकभी शब्द बिन जिन्दगी गुमशुदा हो जाती है" इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत - बहुत बधाई.
Rachna to jaisi hai par aapki prashansa ese bemishal bana deti hai....achhi vivechna kar lete hain...thnx..
Deletebahut sundar likha hai aap ne ,shabdo ke satha khela hai
ReplyDeleteBhawna aati hai to shabd khalte pratit hote hain....thnx
Deleteअसल पहचान तो शब्द ही होते हैं जिससे इन्सान पहचाना जाता है ... जाना जाता है ...
ReplyDeleteji Naswaji....shabd-bhash...esi se to insan apni abhiwyakti deta hai.....thanx ji..
Deleteshabdon ka behtarin chayan
ReplyDeletedhanybad ji....spjain ji...
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