लहू तो लहू है ,
तेरी-मेरी सब की ,
लहू पुकारती है ,सभी रिश्तों से परे ,
गर्म लहू-सर्द लहू ,
कुछ कभी सर्द नहीं होती ,
कुछ खौलती ही नहीं ,
सूर्य की किरणें रात का सबूत खोजती है ,
शाम रात परोसती है ,
ख्वाब तो आते ही रहते हैं ,
ताबीर नहीं होती ,आँखे कतरा सी जाती है ,
कौन-कैसे दरयाफ्त करेगा ,
अपने होने का सबूत ,
वजूद सुगबुगाती है,
नस्ल के नये होने का दस्तूर ,
मोहब्बत ज़माने के आगे बिछी है ,
गर्द में समोई ,जलील होती ,
क्या मंजिले पायेगी ?
उसकी जूनून बनी है आवारगी ,
जो लिपटी है चिथरों में ,
धड़कने बदस्तूर है ,
तारीखें दर्ज है ,
धरती है .....आसमां है ,
इन्सान है---जानवर है ,
हवा बहती ही रहती है ......
समन्दर से समन्दर तक ..............
तेरी-मेरी सब की ,
लहू पुकारती है ,सभी रिश्तों से परे ,
गर्म लहू-सर्द लहू ,
कुछ कभी सर्द नहीं होती ,
कुछ खौलती ही नहीं ,
सूर्य की किरणें रात का सबूत खोजती है ,
शाम रात परोसती है ,
ख्वाब तो आते ही रहते हैं ,
ताबीर नहीं होती ,आँखे कतरा सी जाती है ,
कौन-कैसे दरयाफ्त करेगा ,
अपने होने का सबूत ,
वजूद सुगबुगाती है,
नस्ल के नये होने का दस्तूर ,
मोहब्बत ज़माने के आगे बिछी है ,
गर्द में समोई ,जलील होती ,
क्या मंजिले पायेगी ?
उसकी जूनून बनी है आवारगी ,
जो लिपटी है चिथरों में ,
धड़कने बदस्तूर है ,
तारीखें दर्ज है ,
धरती है .....आसमां है ,
इन्सान है---जानवर है ,
हवा बहती ही रहती है ......
समन्दर से समन्दर तक ..............
wah !!! bahut achcha ji.
ReplyDeleteBahut hi sunder chitrn
DeleteAPRNA ji
dhanybad ji....Ritaji yese hi hausla badhate rahiye.....
Deletebahut aabhar ji....Asha Sharma Dohroo ji....
Deleteबहुत ही अच्छी रचना है। " अपने होने का सबूत,वजूद सुगबुगाती है- मोहब्बत ज़माने के आगे बिछी है, गर्द में समोई,जलील होती,क्या मंजिले पायेगी?" मोहब्बत की मंज़िल और मोहब्बत क्या होती है, आज तक कोई नही समझ पाया है। अनुरोध है कि अपने आप से भी पूंछे और फिर दूसरी रचना लिखे - इतनी सुन्दर रचना के लिये आप्का अभिनन्दन।
Deleteबहुत ही अच्छी रचना है। " अपने होने का सबूत,वजूद सुगबुगाती है- मोहब्बत ज़माने के आगे बिछी है, गर्द में समोई,जलील होती,क्या मंजिले पायेगी?" मोहब्बत की मंज़िल और मोहब्बत क्या होती है, आज तक कोई नही समझ पाया है। अनुरोध है कि अपने आप से भी पूंछे और फिर दूसरी रचना लिखे - इतनी सुन्दर रचना के लिये आप्का अभिनन्दन।
Deletewah bahut khoob abhivyakti ..
ReplyDeleteSukriya ji aapke.....Kavita Verma ji.....
Deleteभाषा का चयन बहुत खूबसूरत है - बधाई ।
ReplyDeleteAapko bhasha achhi lagi dil se aabhar.....Susheel Guru ji.....
Deleteअपर्णा जी कविता अच्छी है। खासकर इस पंक्ति की भाव व्यंजकता काफी महत्त्वपूर्ण है ...'सूर्य की किरणें रात का सबूत खोजती है ,'..
ReplyDeleteAap samay nikal mere blog pe aayen...aabhar ji....Prafful ji..
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,मन के भावो को सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है। कविता की हर पंक्ति आगे पढने को उत्साहित करती है।सुंदर कविता की रचना के लिए बहुत बहुत साधू वाद ,अपर्णा जी
ReplyDeleteNand Kishore ji aap blog pe aake mere haushla ko badhaya....bahut-bahut dhanybad..
Deleteबहुत सुन्दर................
ReplyDeleteaap mere blog tak aayen...thnx..yunhi mere utsah ko badhte rahiyega....Vendin machine gurgaon..
Deleteसुंदर ..भावात्मक ..अभिव्यति ..
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया ... इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिये आभार
ReplyDeleteaap yaha tak aake padhen....aabhar ji aapka...sanjoy bhaskar ji....
Deleteबहुत बढिया
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना