Saturday 21 December 2013

ये कैसी आहट

ये कैसी आह्ट,कैसी दस्तक है,
नींद से उठ-उठ कर देखती हूँ,
कौन है जो दूर से सदा दे रहा,
क्यों मुझे गाहे-बेगाहे परेशां कर रहा,
यूँ कुछ हमारे भीतर तमन्नायें जगा रहा,
मानों कितनी सदी से इबादत कर रहा,
दिल बेगाना हुआ,धड़कने भी बस में न रही,
कोई तो ईशारा करे,कोई तो नज़र आये,
कैसे करूँ दीदार तेरा,गुफ्तगू करूँ कैसे,
दूर से सदा देते,पास आ छूते सिहरा जाते,
तुम्हारी मौजूदगी भरमाती मुझे,आवारगी सताती मुझे,
हो तुम कोई हक़ीक़त या रूह का कोई फ़साना,
या हमारे अंतर की दबी-अधूरी तिश्नगी,
उम्र भर सताते रही ,हलक जलाते रही,
हिज्र कि हर शाम यूँ गुजारी तेरे बगैर हमने,
मानो  ओस कि बूंदों से प्यास बुझाई हमने। 

11 comments:

  1. bahut sundar ,man kee bechainee ke sundar abhivyakti

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  2. ye hamara antar man ki awaz hai ....bahut sundar

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  3. antar mei bhagwan base tum antar ko aabaad karo, upar se sab saje dhaje so drishti ka vistaar karo

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  4. :) सुंदर एहसास !!
    कौन है वो :) क्यों करता है ऐसा :)

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  5. हो तुम कोई हक़ीक़त या रूह का कोई फ़साना,
    या हमारे अंतर की दबी-अधूरी तिश्नगी, kya kashmkash hai ..sundar abhivyakti..

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  6. अंतर्मन की अतृप्त भावनाएं..... . बहुत खूब।

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  7. बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को और सभी ब्लॉगर-मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है

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  8. This comment has been removed by a blog administrator.

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  9. बहुत सुंदर----
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाऐं----

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