Wednesday 8 January 2014

सत्यनारायण व्रत-कथा

पतिदेवजी ड्यूटी जाते समय बोलते गयें "मिसेज रस्तोगी के यहाँ आज दिन के ११बजे दिन में पूजा है ,सत्यनारायणभगवान का चली जाना ,तुम शाम को टहलने निकली थी तो फोन आया था " वाह मेरी तो बाँछे खिल गई ,सत्यनारायण पूजा की मस्ती की याद कर मन हिंडोले लेने लगा। मन सुस्त पड़ा था,शारीर शिथिल पड़ी थी ,एकाएक दोनों ने गति पकड़ ली ,अति व्यस्त हो गई कि घर के सभी काम  निबटाने हैं ,दाई को जल्दी से छुट्टी करवाना है ,तैयार होना है और भी क्या-क्या करना है। शरीर हाथों को से काम करवा रहा है और मन अपने को स्वतंत्र छोड़े है ,तीव्र गति से आगे का रूटीन बनाने को--कब जाना है ,किसके साथ जाना है और कैसे जाना है। पूजा का समय तो सोचना ही नहीं है क्योंकि  कॉलोनी का निर्धारित समय 11बजे हीं रहता है ,मतलब सत्यनारायण भगवान उसीसमय पदापर्णकरते हैं। सभी के बच्चें स्कूल ,पतिदेवजी ड्यूटी। बस मर्द के नाम पर गार्ड,पंडितजी और भगवानजी ही रहते हैं। यानि की गेट-टूगेदर का पूरा माहौल रहता है। 
                        कभी कोई धूर्त मैडम सत्यनारायण भगवान को ८बजे हीं बुलवा लेती है और कॉलोनी कि औरतों को ११बजे ,मतलब कि एक मर्द कम। हंसी-मज़ाक का पूरा माहौल बन जाता है प्रसाद खाइये ,मस्ती मारिये फिर मन भर जाये तो घर जाइये। सत्यनारायण भगवान की पूजा कॉलोनी की एकरस जिंदगी को इन्द्रधनुषी रंगो से सराबोर कर जाती है।   
                                     ११बजे मिसेज रस्तोगी के यहाँ हमलोग पहुँच गये। पंडितजी आ चुके थें ,२-४ महिलायें भी आ चुकी थीं ,अन्यान्य पहुँचने ही वाली थी। दुआ-सलाम के बाद सभी महिलायें इधर-उधर अपने समूह में बैठने लगी। पंडितजी पूजा कि तैयारी कर रहें थें ,मैडमलोग अपने-अपने मस्ती कि प्रस्तावना पास करवा रही थी। पंडितजी के पूजा आरम्भ करवाते कमोबेश सभी पहुँच चुकी थी। अच्छी खासी औरतें इकठ्ठा थीं और समूह-दर-समूह अलग-अलग अपना जगह बना के स्थापित हो गईं थीं। तरह-तरह कि चर्चाएँ सर उठा रही थी। कहीं हंसी-मज़ाक का दौर चल रहा है तो कहीं अपने गहने-साड़ियों का प्रदर्शन चल रहा है ,कही अपने पतिदेव का  चल रहा की कैसे मुझे प्यार करता है और कैसे मेरी सेवा करता है पतियों के लिये  उनकी अपनी अनुपस्थिति अच्छी ही है ,इज्जत बची रहती है। कही दूसरी औरतों का गुपचुप दबी आवाज में शिकायत हो रही है तो कही किसका किसके साथ चक्कर चल रहा ,किसका लड़का किसकी लड़की के साथ घूमता है।हर तरह कि बातें हो रही है। पति कि धज्जी उड़ाना सबसे मज़ेदार गप्प है।               
                                    सत्यनारायण भगवान इन शोरगुलों में भी तीव्रगति से पंडितजी और यजमान के सहारे आगे बढ़ते जा रहे हैं। हर अध्याय के बाद शंख फूंकने के बाद पंडितजी चिल्लाते हैं--आपलोग शान्त होकर कथा सुनिये ,मिसेज रस्तोगी भी बीच -बीच में मुस्कुराके हाथ जोड़ रही हैं कि प्लीज़ थोड़ी देर शान्त रहिये ,लेकिन वो जानती है की शान्ति नहीं रहनेवाली। इतिश्री रेवाखंडे ----अध्याय समाप्त होते जा रहे हैं ,कलावती-लीलावती का पदापर्ण भी हो चूका है। कथा जल्द ही अब समाप्त हो जायेगी ,गप्प की गति बढ़ गई है ,शोरगुल,खिलखिलाहट चारों तरफ फैले हैं। पंडितजी खिसियानी बिल्ली कि तरह हल्ला-गुल्ला पे उछल-कूद मचा रहें हैं ,यजमान उन्हें मना-मना के कथा पढ़वा रहें हैं। 
                             पर महिलायें आखिर करें भी तो क्या?हर समूह के पास काफी समस्या जड़ित गप्पें हैं। कथा समाप्त होने पर उनसभी को प्रसाद लेकर बिखरना होगा अतः समस्याओं का समाधान आरम्भ हो जाता है। एक समूह में ताजातरीन ख़बरें--किसका पति किसके साथ आँखमिचौली खेल रहा है ,ठहाकों का दौर चल रहा है। पांचवा अध्याय ख़त्म हुआ ,पंडितजी एकाएक खड़े होके चिल्लायें "आपलोग खुद कथा पढ़ लीजिये ,मै जा रहा हूँ "औरतें हंसने लगीं। पंडितजी गुस्से में थें। यजमान और कुछ औरतें उन्हें मना रही थी। खैर ,पंडितजी हल्ले-गुल्ले में हीं कथा समाप्त कियें ,आरती कियें ,दक्षिणा भरपूर मिला फिर भी गुस्से में पैर पटकते हुए भागे। 
                               पंडितजी के जाने  के बाद सभी औरतें "प्रसाद"ले घर को चली और इसतरह मनोरंजक गोष्ठी ख़त्म हुई। सत्यनारायण भगवान का क्या हाल होता है नहीं जानती हूँ पर हमलोगों का मूड फ्रेश हो जाता है और सच पूछिये तो सत्यनारायण भगवान का हमलोग हमेशा इंतजार करते हैं की  अब आगे वो किसके माध्यम से कॉलोनी में आयेंगे।            

4 comments:

  1. उफ़्फ़ ये हाल हैं, महिलाओं के !
    खैर खुशी होने के लिए जो करें, सबसे बेहतर !!

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  2. वाह!!! बिलकुल सही। भाई वर्षो से हम ऐसी ही कथा सुन रहें हैं। बहुत बढियां !!

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  3. kya pata satynaran bhagvan bhi chah rahe ho ki pandit ji chup ho jaye to thodi gapp vo bhi sun le ...kitane salo leelavati kalavati sunate rahenge.....majedaar

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    1. aj tak Panditji aur kisi bhi lady... ko ye nahin malum ki Satyanarayan bhagwan ki vo Katha aakhir kaun si hai jiske suune se leelavati kalavati aur baaki sabhi ko mauksh ki prapti hoti hai....hai na GK ka question....aapko agar malum ho to plz share keejiyega...LoL n regards @ Taurus.Rodrix@facebook.com

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