Friday 14 February 2014

वो है कहाँ?

          सोचती ,महसूसती उसे,
          हर वक़्त,हर जगह,
          जो अपने होने का आभास दिलाता,
          छू जाता,सिहरा जाता,
          स्पर्श से वो अपनी मौजूदगी दर्ज कराता,
          मुड़-मुड़ के देखती ,आँखे मलती,
          चौंक कर सोचती ,ठिठकती,
          जाने किन ख्यालों में खो जाती,
          वो है कहाँ?
          उसका सुकून,उसकी जूनून उसे कहाँ ले गई,
          साथगीर है किसके ,मै छटपटा  सी जाती,
          तब फिर मै कौन,हूँ कहाँ?
          सारे गुजरे लम्हें,देखे सपने,
          पेश करते क्या सुबूत,
          जो मेरे रूह को छू गया,
          नाज़ुक पलों का राजदार रहा,
          यादेँ जिसकी सबलता से मेरी,
          हर बदअंदेशे को काफूर कर जाती है,
          वो गर आ जाये तो क्या कहर ढाये,
          हक़ीक़त मेरे सोच को हौले से सहला जाती है,
          मेरे मर्म को छूती उसकी नदारगी है,
          आँखे मूंद हर एहसास गटकती हूँ,
          हद से बढ़ जाती परेशानियाँ है,
          कहीं गर्दिश झेल रहा वो,
          दुनिया के क्रूर हाथों से मसला जा रहा,
          ख्याल आतें ,बिखरा से जातें मुझे,
          गर्म हवा बहती,पास आ जलाती,
          सर्द आहों से मिन्नतें कि थीं,
          पानी बरसा,भिंगोकर जाने कहाँ बहके गया,
          आँसुओं की बूंदों से गुजारिश की थी,
          ठण्ड बढ़ी थी,कँपकँपा गई थी,
          साँसों की गर्मी से जुंबिश दी थी,
          क्या कोई तड़प,कोई सदा उसतक न पहुँची,
          उसकी तमाम शरारतें,सुलगती हरकतें,
          मोहक लफ्ज़ेबाज़ी याद आती है,
          भरमा सी जाती है मुझे,
          धड़कने,खामोश मुहब्बत की गवाही देती,
          पर जेहन से निकल सवालात,वहीँ के वहीँ पसरे पड़े हैं,
          आख़िरकार वो है कहाँ?????????
       
         
         
        

23 comments:

  1. wo yahin hai , aas-pas hi ... dhundhne ki deri hai ..
    bahut sundar

    ReplyDelete
  2. Zaroori to nahin tujhe aankhon hi se dekhoon .. Kya tera tasawwur tere deedar se kam hai. Chirpi

    ReplyDelete
  3. Ek ehsas jo rahta haiareeb hi ... Par bas mahsoos kiya ja sakta hai ...
    Gahre pal ki yaadon se buna ...

    ReplyDelete
  4. सिर्फ एहसास हैं रूह से महसूस करो ........

    ReplyDelete
  5. आपकी प्रविष्टि् कल रविवार (16-02-2014) को "वही वो हैं वही हम हैं...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1525" पर भी रहेगी...!!!
    - धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. Waah..bahut khunsurati se ehsaason ko bayaan kia hai aapne! Bahut achhi rachna
    Hai!

    ReplyDelete
  7. jab dekho jidhar dekho vahee aalam vahee jalba, meri aankho mei rahta hai koi meeri nazar hokar.

    ReplyDelete
  8. उत्कृष्ट रचना

    ReplyDelete
  9. इन खूब्सूरत पलो का एह्सास बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इस अनुभव को शब्द देना मुश्किल होता है - कह सक्ते है कि ज्यो गूंगह मीठे फल को रस अंतर्गत ही भावे - सही है। बहुत ही अच्छा वर्णन किया है। अभिनन्दन ।

    ReplyDelete
  10. bahut khoobsurat lekhan aapka Aparna mam ........... beautiful like u ........... muaaahhhhhhhhhhhh :)

    ReplyDelete